आपने कहीं पर तो ये बात जरुर सुनी होगी, कि कोई आपके पसंददीदा कलर को जानकर आपका भविष्य बता सकता है। मैं इस बात को बिल्कुल नहीं मनाता हूँ, किंतु इतना जरुर मानता हूँ, कि कोई आपका फेवरेट कलर जानकर आपका स्वभाव बता सकता है। यह कलर साइकोलॉजी के अध्ययन द्वारा संभव है।
विज्ञान की बात करे तो रंगों का एक स्पेक्ट्रम बनाया गया है, जो कि रंगों के Wavelength को दर्शाता है। भिन्न – 2 रंगो का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। जो हमारे भाव को बदलने में सक्षम होते है।
दैनिक जीवन में कलर साइकोलॉजी की आवश्यकता
दैनिक जीवन मैं कलर साइकोलॉजी के इस्तेमाल से हम सही रंगों का चुनाव कर सकते है। जैसे हमारे बेडरूम की दीवालों का कलर कैसा होना चाहिए। कैसी दीवारें होनी चाहिए, बच्चों के लिए कौन सा कलर उचित होगा ? कैसे पर्दे होने चाहिए ? किस कलर के कपड़े लेने चाहिये ? इन सब समस्याओं का समाधान हम आपको बता रहे है।
मित्रों, दूसरे तरीके से बताये तो आजकल हमारे सामने खरीददारी के लिए इतने ज्यादा Option मौजूद रहते है, कि खरीददारी ही एक समस्या बन गई है। क्योकि सही चुनाव न करने पर हमारे अहम को ठेस पहुंचती है।
बिज़नेस में कलर साइकोलॉजी की आवश्यकता
आजकल मार्केटिंग के लिए कलर साइकोलॉजी का उपयोग किया जाता है। क्योकि आजकल वस्तु की खरीददारी उसके जरुरत से ज्यादा भावनात्मक निर्णय पर टिका होता है।
एक कलाकार के लिए कलर साइकोलॉजी अत्यंत महत्वपूर्ण है, सर्वप्रथम रंगों के बारे में आपको बेसिक जानकारी प्रदान कर रहा हूँ।
रंगों का स्वभाव

रंगों को मुख्यातः उसके स्वभाव के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है।
गर्म कलर
गर्म कलर वे कलर होते है, जो हमे गर्मी का एहसास कराते है, इसे हम आग का कलर भी समझ सकते है। इसके उदाहरण है, रेड, येलो, ऑरेंज।
कूल कलर
ठंडे रंग वे होते है जो हमें ठंड का एहसास करवाते है, ये कलर मुख्यता: बर्फ या ठंड से सम्बन्धित होते है। इसके मुख्य उदाहरण ये है, ब्लू, ग्रीन, पर्पल।
न्यूट्रल कलर
न्यूट्रल कलर वे होते है, जो हमे गर्मी का एहसास कराते है। न ही ठंड का इन रंगों का प्रभाव तापमान के साथ नहीं जुड़ा होता है, इनके मुख्य उदाहरण है, ग्रे, ब्राउन, क्रीम,
उत्पत्ति के आधार पर रंगों का विभाजन
रंगो की जानकारी को आगे बढ़ाते हुए, मैं आपको इसकी उत्पत्ति के आधार पर जानकारी प्रदान कर रहा हूँ।
प्राइमरी कलर
प्राइमरी कलर वे कलर होते है, जिन्हें किसी अन्य रंगों के मिश्रण से अलग बना पाना संभव ही नहीं है वे प्राकृतिक रुप से विद्यमान है। ये तीन कलर है, रेड, ग्रीन, येलो
सेकंडरी कलर
इन तीन प्राइमरी कलर के मेल से जो भी कलर बनते है, वो सेकेंडरी कलर कहलाते है।
रेड + ब्लू = पर्पल
ब्लू + येलो = ग्रीन
येलो + रेड = ऑरेंज
मित्रो अब मैं भिन्न कलर को उसकी साइकोलॉजी के हिसाब से उसकी जानकारी दे रहा हूँ।

रेड कलर साइकोलॉजी
अभी हाल में एक विदेशी अध्ययन के द्वारा ज्ञात हुआ है, की जिन महिला वेटर्स लाल कलर के कपडे पहन रखे थे। उनको किसी और रंगों के मिश्रण से कई गुना ज्यादा टिप प्राप्त हुई।
लाल कलर Wavelength सबसे अधिक होती है,
यह कलर प्यार की निशानी के लिए भी मशहूर है। यह कलर भूख बढ़ाने के लिए मशहूर है इसलिए कई खाद्य कम्पनियाँ अपने लोगों में इस कलर का इस्तेमाल किया है।
येलो कलर साइकोलॉजी
यह ऐसा कलर है, जो अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करवाता है। इसके द्वारा भीड़ में एक अलग पहचान बनती है, इसलिए पहले समय ये टैक्सियों का रंग पीला था। बच्चों को इस कलर से रोना आता है , इसलिए नर्सरी स्कूलों में इस कलर का इस्तेमाल दीवारों को रंगने में नहीं किया जाना चाहिए।
ब्लू कलर
यह कलर बुद्धिमत्ता एवं विश्वास का प्रतीक है, इसलिए बहुत सारी बिजनेस कंपनिया इसका इस्तेमाल अपने लोगो में किया है। कई उदाहरण आपके सामने है, जैसे फेसबुक, twitter, intel, H.P.
यह एक ऐसा संबंध बनाता है, जो की लम्बे समय तक नहीं टूटेगा। कुल मिलाकर यह कलर विश्वास का प्रतीक है, और हमारी सोच को खोलकर उत्पादन क्षमता से बढ़ता है।
हरा कलर साइकोलॉजी
2012 में हार्डबर्ड यूनिवर्स्टी में एक अध्ययन से पता चला कि हरा रंग के लेबल का इस्तेमाल जिन फ़ूड प्रोडक्ट पर किया गया, वे ज्यादा हेल्दी और ताजे माने गए।
इसके उल्टा हरे रंग प्रयोग न करने न करने वाले उत्पाद को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक समझे गए और उनकी बिक्री मैं कमी हुई। हरा रंग प्रकृति से जुड़ा हुआ रंग है। जो कि हमें शांति प्रदान करता है,
हरे रंग का उपयोग ट्रैफिक सिंग्नल में किया जाता है। जो कि आगे बढ़ने का प्रतीक में आता है।
ऑरेंज कलर की साइकोलॉजी
यह कलर भूख बढ़ाने वाला माना गया है, इसलिए रेस्टोरेंट में इसका इस्तेमाल होता है।
इसके अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए , क्योकि अधिक प्रयोग सस्तापन दिखाता है। इसका इस्तेमाल में पूर्ति की कमी को दर्शाता है।
पिंक
इस रंग का असर दिमाग पर इतना पड़ता है। कि विदेशों की जेलों में कुछ आक्रामक कैदियों के आक्रमकता को कम करने के लिए दीवारो को पिंक कलर से पुताई करवा दिया जाता था।
1970 के दशक में वैज्ञानिको के द्वारा इस विषय के खोज के उपरान्त कनाडा के स्कूलों में भी इस रंग का उपयोग किया जाने लगा।
गुलाबी कलर प्यार और नाजुकता का प्रतीक होता है, बिजनेस के सम्बन्ध इस रंग का उपयोग सबसे ज्यादा फीमेल प्रोडक्ट जैसे फैशन, ब्यूटी आदि से सम्बंधित उत्पादों में किया जाता है।
पर्पल
यह रंग राजशाही का प्रतीक होता है। पुराने राजघरानो में राजाओं के कपडे और राजमहल की सजावट आदि में इसका इस्तेमाल होता था।
यह धन और सम्पनता को दर्शाता है।
इसके रॉयल लुक के कारण कैडवरी चाकलेट में इस रंग का इस्तेमाल किया गया है। यह रंग दैवीय गुण को भी दर्शाता है।
काला
मनोवैज्ञानिक की बात करे तो, काला रंग पावर और उच्च सत्ता को दर्शाता है।
इस कलर का प्रभाव इतना पड़ता है। कि भारी चीजों को इस कलर से दर्शाया जाता है। इसलिए जिस समान की पैकिंग ब्लैक होती है, वह समान हमें अधिक भारी महसूस होती है।
सफेद कलर
यह रंग शांति और स्वच्छता को दर्शाता है, अस्पतालों में इसका उपयोग डाक्टर के कपड़ों और दीवारों के कलर में किया जाता है।
ग्रे कलर साइकोलॉजी
यह रंग ऊर्जा में कमी को दिखाता है। यह रंग किसी भी तरीके से उत्तेजित नहीं करता है। इसलिए बैकग्राउंड में इसका उपयोग बहुतायत किया जाता है। जिससे हमारा ध्यान नहीं भटकता है।
ब्राउन
यह कलर भरोसे और विश्वास का प्रतीक होता है, यह मित्रता का एहसास दिलाता है, एवं जमीन से जुड़ा महसूस करवाता है।
यह कलर भी बैकग्राउंड में भी उपयोग किया जाता है।
कुछ जरुरी टर्म ( रंगों से सम्बन्धित )

HUE
किसी भी रंग का नाम hue होता है, जैसे कि लाल रंग का हुए, लाल, काले रंग का हुए काला।
TINT
किसी भी रंग में सफेद रंग मिलाने से उस रंग का टिंट तैयार होता है।
SHADE
किसी भी रंग में ब्लैक कलर मिलाने से उसका शाडे तैयार होता है।
TONE
किसी भी रंग में ग्रे कलर मिलाने से उसका टोन तैयार होता है।
मित्रों जैसा कि हमने पहले आपसे बताया था, कि अगर हमें ये पता चल जाये की किस रंग के साथ कौन सा रंग अच्छा दिखता है, तो हमारे लिए खरीददारी और बिक्री दोनों के लिए फायदेमंद होगा। मैं यहाँ पर आपके बेसिक कलर स्कीम समझाने जा रहा हूँ। जिसका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन मैं कर सकते है।
Analogous कलर स्कीम

यह कलर स्कीम प्रकृति मैं पाया जाता है, और हमारी आँखों के लिए सुखदायक होता है। कलर व्हील में नजदीक के कलर अनलोगोस कलर स्कीम पैदा करते है।
जैसे , ब्लू , वॉयलेट
complementary कलर स्कीम

व्हील में जो कलर एक दूसरे के विपरीत दिशा में होते है। वे कॉम्प्लिमेंटरी स्कीम कहलाते है , उदाहरण के लिए लाल एवं हरा , पीला एवं पर्पल।
यह कन्ट्रास पैदा करते है , इसका अत्यधिक उपयोग लोगो एवं छूट या स्कीम दर्शाने के लिए किया जाता है।
Monochromatic कलर स्कीम
यह स्कीम किसी अकेले कलर के द्वारा उसके सेड टोन्स और टिंट्स में बदलाव करके किया जाता है। उदाहरण के लिए लाल रंग में सफेद मिलाने से पिंक तैयार होता है। ब्लैक और लाल को मिलाकर मेहरून बनाया जाता है , इत्यादि।
Triadic कलर स्कीम

कलर व्हील में बराबर की दूरी पर स्थित तीन रंगो का मेल त्रीआदिक स्कीम कहलाता है , उदाहरण के लिए लाल , नीला , पीला , सबसे प्राइमरी त्रीआदिक कलर होते है।
इस प्रक्रिया से बेस्ट रंग चुने
अभी तक जो भी जानकारी आपको दी जा रही थी , इसलिए थी कि आप इस प्रक्रिया में शामिल हो सकें। सबसे अच्छा रिजल्ट पाने के लिए चुनाव का एक तरीका होता है।
कोई भी मनचाहा रंग चुन लेने से बहुत काम संभावना है , कि आपके रंग वास्तव में अच्छे है। यहाँ पर मेरा मकसद ये नहीं है , कि आप अपनी पसंद का रंग नहीं चुन सकते है। मेरा मकसद ये है , की आप अपनी पसंद का एक रंग चुने फिर आगे के रंग चुनने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करें। जो कि में एक उदाहरण से समझा रहा हूँ।
मान लीजिये आपकी एक कंपनी है , जो कि ताजे फलों का व्यापार करती है। अगर आपको अपनी कंपनी के लोगो के कलर का चुनाव करना है , तो कलर साइकोलॉजी के हिसाबसे ताजे फलों के लिए हम हरे रंग का इस्तेमाल कर सकते है।
अब हमको साइकोलॉजी की मदद से एक प्राइमरी कलर मिल गया। और आगे के रंगों को चुनने के लिए हम कलर स्कीम का सहारा लेगें। कलर स्कीम के हिसाब से हम अगर एनलगास कलर स्कीम चुनते है। जो कि प्रकृति में सबसे ज्यादा पाया जाता है।
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